हां मैं प्यार करती हूं
बदला बदला है नजरिया मेरा
खुशनुमा हो गये दिन रात मेरे
बदल सी गई है चाल मेरी
भर गई है मिठास मन में
बोलती हूं मधुर मधुर
चलती हूं ठुम्मक चाल
चूमती हूं फ़ूलों को, कलियों को
झूमती हूं हवा के संग संग
ऊड्ना चाहती हूं खुले गगन में
छूना चाहती हूं आसमान
नजर मेरी देख आती है छितिज के आर पार
सुगंध सी भर गई है मन प्राण में
हां मैं दीवानी हो गई हूं
भाता है बच्चों सा खिलखिलाना
फ़ूलों सा झूम कर गाना
थिरक कर चलते हैं मेरे पांव
सुन पड्ती है रुनझुन सी हर कहीं
हर घडी…
तुम भी करो न प्यार
इस सुन्दर सी धरा से
इस विस्तृत नील गगन से
मेघ से , पवन से
इस अनमोल जीवन से……
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