कभी कभी
जाने क्यों
जाने क्यों
ऐसा लगता है
जैसे
जैसे
जिंदगी दबे पांव
गुजरती जा रही हो
बिना किसी सुगबुगाहट के...
गुपचुप गुमसुम
गुपचुप गुमसुम
देखते देखते कितना ही फासला
तय हो जाता है
तय हो जाता है
उम्र कई कई सीढ़ियां फलांग जाती है
कुछ पता ही नहीं चलता
आश्चर्य होता है
कैसे बीत गया वक्त
आश्चर्य होता है
कैसे बीत गया वक्त
पांव में पैजनियां तो थी
फिर
नूपुरों की झन्कार
नूपुरों की झन्कार
कैसे नहीं सुन पाए हम
कहां खोए रहे.....
कहां खोए रहे.....
वक्त खो गया कहीं
या
हम सम्मोहन में बंधे रहे
हां !
जीवन सम्मोहन ही तो है
जीवन सम्मोहन ही तो है
जीने की धुन
और उसपर अहर्निश थिरकता जीवन
प्यार बांटती दुनिया
और प्यार समेटता अपना मन
ज्ञान और प्रेम के बीच
अनवरत चलती खींच तान
ज्ञान और प्रेम के बीच
अनवरत चलती खींच तान
ज्ञान के मुख से
जितनी आह निकलती
प्रेम उतना ही डोर खींचता जाता
ज्ञान जिसे भटकन फिसलन कहता
प्रेम उसी में डूबता जाता
यह खूबसूरत दुनिया
पल पल जीने का पैगाम देती है
जी भर जीने का...
यूं पलकें मूंदे गुजारने नहीं कहती
कदम कदम पर
बिखरी खूबसूरती
रोम रोम से पीने का पैगाम देती है
छ्क कर पीने का...
यूं नजरें झुकाए गुजर जाने
नहीं कहती...
कोई नहीं जानता
आने वाला कल कैसा होगा
पर गुजरे पलों को
विसार पाना मुमकिन है क्या
एक पल
कोई एक पल
मन में फिर फिर मिठास भरने की
क्षमता रखता है
नहीं रखता क्या....
हर पल अनमोल हैं
जीवन के हर पल
कहते हैं
जियो
बार बार जियो
मगन होकर जियो
नहीं रखता क्या....
हर पल अनमोल हैं
जीवन के हर पल
कहते हैं
जियो
बार बार जियो
मगन होकर जियो
उन्हीं पलों को
जो भरते हैं तन्मय होकर
जीने की लालसा
मधुर स्वप्न की तरह
रखते हैं
हमें हरदम मशगूल
सुनो
ध्यान से सुनो
बार बार पुकारकर
मधुर स्वप्न की तरह
रखते हैं
हमें हरदम मशगूल
सुनो
ध्यान से सुनो
बार बार पुकारकर
ये सुधि भीने क्षण कहते हैं
चल चंदन वन से चुन लाएं
कुछ खुशबू वाले फूल ...
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