आज सुबह जब
मुझे जगाने
शीतल पुरवैया आई
तेरे आंगन की सब कलियां
खिल गई हैं ,
मैं जान गई……
फिर मन में जो
कुहुक उठी
जब उस पर भी कुछ
गौर किया
सांझ को गाने वाली कोयल
की पीडा पहचान गई…
जब से मन में
प्रीत जगी
और लगने लगा प्यारा
सब कुछ
जग सुंदर ,यह जीवन सुंदर
यही सत्य है मान गई…॥
No comments:
Post a Comment