Tuesday 26 May 2015

दोस्ती

रख सकते हो
पर्वत की तरह अचल
नींव दोस्ती की तब करना
भर सकते हो उसमें
लहरों की तरह स्पंदन तब करना

नेमत है दोस्ती
इस जहान में
हर नाते रिश्तों से अलग
संबंधों से जुदा
कर सकते हो कद्र इसकी
बढकर सबसे तब करना

जरूरी नहीं नये रिश्ते
बनते ही चलें
पुराने निभा लें बडी बात है
दोस्ती दायित्व है
कोई खेल नहीं
संभल के पांव रख लें बडी बात है
डगमगायेंगे कदम भी
कहीं न कहीं
बढ के थाम सको बांहें तब करना

राह सहज हो हरदम
ये मुमकिन ही नहीं
कांटों से सामना भी होगा
कभी आंधी कभी झंझा
कभी उलझन भी आ खडी होगी
मिलेगी धूप जमाने की निगाहों की
कर सको छांव स्नेह की उसपर
तब करना

दोस्ती शब्द है तो इसके
मायने जानो
दोस्ती धर्म है तो इसको
शाश्वत मानो
रंग जीवन में भरती है
वो दोस्ती ही है
चाह जीने की बढाती है
वो दोस्ती ही है
कोई दुनिया में हो न हो तुम्हारा
किसी के हो सको तहेदिल से
तब करना……………





Tuesday 19 May 2015

सुबह की सैर

बहुत बहुत कठिन होता है
नींद भरी पलकों पर
पानी के छींटे मारकर जागना
अलसाये बदन को ढकेलकर
घर से बाहर निकलना
और
सुख भरे किसी मीठे सपने को
आधा अधूरा मन में बसाए
सुबह की सैर को जाना

लेकिन चंद पलों की मुश्किल
फिर सारा जग जैसे
इंतजार में पलकें बिछाए हो
सुबह की ताजी ठंढी हवा
गुनगुनाती सी
फूलों पत्तों को जगाती हुई जब
बदन को छूकर गुजरती है
मन प्राणों में
अजब ताजगी भर जाती है


महीन सुनहली किरणों का शनै: शनै:
आसमान से उतरना
कोमल गुलाबी कदम आहिस्ते से
नरम दूब पर रखना
कलियों का झक्क से खिल उठना
और हवा का सुग़ंधी ले उडना
सब कुछ मन को मोहने वाला होता है

कहीं किसी डाल पर पंछी बोल उठता है
तब नजर अपने आप
उधर उठ जाती है
हवा में घुली हुई मिठास
मन प्राणों को सींच कर दिन भर के लिए
ऊर्जा भर देती है

जी करता है पंख लगा उड चलूं
दूर वहां तक
जहां धरती आसमान गले लगते से दीख रहे

जहां किसी पर्वत की चोटी पर
सात घोडों का सारथी
सात रंगों की किरणों को
धरती पर बिखेरने में मगन है

जहां किसी पेड की फुनगी पर
झूला झूलती कोयल कुहू कुहू गा रही

दिशाओं में रंग और उमंग
बरसाती हुई भोर सुहानी
प्रभाती गा गाकर बुलाती है
हमें जगाती है
चलो उपवन में घूम आएं
कर आएं कुछ देर

सुबह की सैर……………।

Wednesday 13 May 2015

रिश्तों की परख

रिश्तों से मधुर भी कुछ
होता है क्या……

काश रिश्तों के कुछ रूप
रस गंध होते
कौन सा मीठा कौन तीखा है
कौन सा मन में तल्खियां घोलने वाला
किसमें कितनी मुलायमियत है
कौन कुछ कड्वे असर देने वाला
पहले से पता चल जाता

हमने तो बस रिश्तों को
मधुर ही जाना
रूप रस गंध से इतर
जीने का बहाना माना

काश इनकी कोई नब्ज भी होती
छूकर ही जान जाते हम
प्रवाह कितना है गति कितनी है

कभी थम जाती है जब गति इनकी
लगता है जैसे
रुक रही हो  सांस अपनी
एक बेचैनी सी ब्याप जाती है
लगता है कुछ भूला सा
वक्त लग जाता है
इस दौर से उबर पाने में
काश माप लेते हम अहमियत इनकी
अपने वजूद में कितनी है

हमने तो बस रिश्तों को शाश्वत जाना
एक अवलम्ब एक सहारे सा
ठोकर से संभालने को तत्पर
रास्तों का उजाला जाना………

कहते हैं वक्त आने पर
रिश्तों की परख होती है
वक्त आएगा हो जाएगी परख इनकी
हमने तो बना डाले रिश्ते अनगिन
आसान हो गयी है
अब डगर अपनी
बचकाना सा ये सवाल लगता है
रिश्तों से मधुर भी कुछ
होता है क्या……

Tuesday 5 May 2015

जादुई गलीचा

जादुई गलीचे की कहानी
सब को याद होगी
मुझे भी है
परियों के पास होती थी
किरणों के महीन रेशों से बुनी
झिलमिल रंगों वाली
उडकर जहां चाहे जा सकती थी परियां

दिल से कहती हूं
एकदम सच्ची बात
वो पल जो तुम्हारे सान्निध्य में गुजरते हैं
परियों की जादुई उडान जैसे ही
लगते हैं मुझे
एकदम से हल्का फुल्का होकर
मन उडता रहता है
जैसे थोडे से बादल में छुपा हुआ चांद
कभी झांकता है
कभी छुप जाता है
लेकिन शीतल सुनहरी किरणें उसको
घेरे रहती हैं बाहु पाश में

एक सम्मोहन सा घेरे रहता है
मुझे भी
छलकती रहती है खुशी हाव भाव से
छुपाए नहीं छुपती
झांकता रहता है अंतस का आह्लाद
रह रह कर
करते रहते हैं हम जादुई गलीचे पर
आसमान की सैर
अनवरत……………………


बहुरुपिया

याद होगी हर किसी को
बहुरुपिये की
गर्मियों की तपती दोपहरी
तरह तरह के रूप बनाकर
आता था वो
बच्चे डरकर भागते कभी
कभी पीछे पीछे गली मुहल्ले घूमते रहते

आंखें बंद करती हूं
तो अपने भीतर भी कई रूप दीख जाते हैं
हैं भी
हर किसी में रूप बदलने की
समय के अनुरूप ढल जाने की
अद्भुत शक्ति
सामर्थ्य…………

कभी किसी के भीतर का रचनाकार
उभरकर सामने आता है
और रचने बैठ जाता है
कुछ अनकहा

कभी किसी के भीतर का संगीतकार
गुनगुना उठता है
कुछ अनसुना सा    

कभी प्रलय बनकर
बहा ले जाती है भावनाओं को
कोई लहर
जब भीतर का समंदर मचल जाता है
कभी बस
चांदनी बन छिटकती रहती है
कोमल मन की बात किसी की

बहुरूपिया हैं हम सभी
रूप बदल सकते हैं
बदलते भी हैं
सिर्फ गर्मी की दोपहरी में नहीं
हर पल हर वक्त ……